उधर वकार-वसीम इधर बुमराह एंड कंपनी, 90s की खतरनाक पाक टीम जैसी है क्यों है भारत की बोलिंग?
नई दिल्ली 90 के दशक का हर भारतीय क्रिकेट फैन पाकिस्तानी टीम से रश्क करता रहा होगा। जलता होगा और सोचता होगा कि भारत के पास ऐसी पेस बैटरी क्यों नहीं। वसीम अकरम-वकार युनिस जैसे खतरनाक पेसर क्यों नहीं। जो विदेशों में जाकर जीत का परचम लहरा सके। दुश्मन को उसी की जुबां में जवाब दे सके। अब दो दशक बाद भारतीय तेज गेंदबाजों ने अपनी रिवर्स स्विंग से दुनिया का ध्यान खींचा है। भारत की जीत से आई पाकिस्तान याद 50 साल के लंबे इंतजार के बाद ओवल में तिरंगा लहाराया है। भारतीय पेसर्स के आगे पूरी इंग्लिश टीम मानो नतमस्तक हो गई। कुछ इसी अंदाज में 25 साल पहले पाकिस्तान ने लॉर्ड्स टेस्ट जीता था। तब भी अंग्रेजों ने वकार-अकरम वाली तेज गेंदबाजी आक्रमण के आगे घुटने टेक दिए थे। माइक अथर्टन, एलक स्टीवर्ट, ग्राहम थोर्प और ग्रीम हिक जैसे बल्लेबाज न तो टेस्ट बचा पाए और न सीरीज। तब भी रिवर्स स्विंग में फंसे थे अंग्रेज 1996 में खेले गए इस टेस्ट मैच में तब वकार युनिस और लेग स्पिनर सकलैन मुश्ताक ने राउंड द विकेट फेंकते हुए रफ का जमकर इस्तेमाल किया था। ठीक वैसा ही कमाल भारतीय गेंदबाजों ने दो दिन पहले किया। इंग्लिश समर में जब पिच सूख चुकी थी, तब इंग्लैंड नई बॉल से संभलने की कोशिश कर रहा था। मगर हमारे जांबाज तो गेंद पुरानी होते ही रिवर्स स्विंग का कमाल दिखाने लगे। रिवर्स स्विंग होती देख बुमराह ने कोहली से मांगा ओवरबुमराह ने मैच के आखिरी दिन के दूसरे सेशन में ओली पोप (02) और जॉनी बेयरस्टो (00) को बोल्ड किया। जीत के बाद कोहली ने बताया था कि बुमराह उस समय खुद गेंदबाजी करना चाह रहे थे। उन्होंने कहा था, 'जब गेंद रिवर्स स्विंग होने लगी तो बुमराह ने मुझसे बोलिंग मांगी। फिर वह मैच विनिंग स्पेल डाला। इन विकेटों ने ही मैच का रुख पलट दिया। वकार और बुमराह में क्या समानताएं हैं? बुमराह एक अलग तरह के गेंदबाज हैं, उनके पास ऐसी विविधता है जिसे हमने अब तक नहीं देखा है। कोई इतने कम रन-अप से गेंदबाजी कर रहा है और 140 किलेमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहा है। वकार का भी इसी तरह स्लिंलिंग एक्शन था, जो तेज को शार्प स्विंग कराने में काफी मददगार होता है। ऐसा एक्शन बल्लेबाजों के लिए गेंद को चुनना बहुत मुश्किल बना देता है। 90s की पाकिस्तान जैसी क्यों ही ये इंडियन टीमयदि आप 1996 में हुए पाकिस्तान-इंग्लैंड टेस्ट को देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे सकलैन मुश्ताक लगातार राउंड द विकेट से रफ पर गेंद फेंक रहे थे। यह राइट हैंडर्स का लेग स्टंप एरिया था। हालांकि पाकिस्तानी लेग स्पिनर को रविंद्र जडेजा से ज्यादा टर्न मिल रही थी। मगर जड्डू की अपनी अलग खासियत है। वह तेज गति से बॉल डालते हैं, जो उन्हें उतना ही खतरनाक बनाता है। हसीब हमीद और मोईन अली को उन्होंने उसी अंदाज में आउट किया, जैसे तब सकलैन (5/57) ने अथर्टन, स्टीवर्ट और थोर्प को चलता किया था। कमेंट्री में सुनील गावस्कर कह रहे थे कि ये इंडियन बोलिंग लाइनअप वेस्टइंडीज के 1970, 80 जैसी है, लेकिन उस कैरेबियाई टीम में स्पिनर की कोई जगह नहीं थी। इसलिए कोहली की यह टीम 1990 की पाकिस्तानी टीम के ज्यादा करीब है।
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